15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान??

कोरोना के चलते रिटेल कारोबारियों को 15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान, 20 फीसदी दुकानें बंद होने का खतरा

कैट ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण देश के रिटेल कारोबारियों को पिछले 100 दिनों में 15.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है.

नई दिल्लीः दुनिया के कई देशों सहित भारत में भी कोरोना महामारी का प्रकोप छाया हुआ है. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर तो बड़ा नकारात्मक असर देखा ही गया है. वहीं कारोबारियों की मुश्किलों में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. ऐसे में व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जो कहा है वो बेहद चिंताजनक है.

 

 

100 दिनों में रिटेल कारोबारियों को 15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान-कैट

व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत के खुदरा व्यापारियों या रिटेल कारोबारियों को पिछले 100 दिनों में 15.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है.

 

 

बेहद परेशान हैं व्यापारी

सीएआईटी (कैट) ने एक बयान में कहा कि देश भर में व्यापारी उपभोक्ताओं की कमी, कर्मचारियों की गैरहाजिरी के कारण दबाव में हैं और वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं कैट ने दावा किया, ‘‘केंद्र या राज्य सरकारों की तरफ से किसी समर्थन नीति के अभी तक नहीं होने के कारण भी व्यापारी परेशान हैं.’’

 

 

20 फीसदी दुकानों के बंद होने का खतरा

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि घरेलू कारोबार इस सदी के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो भारत में लगभग 20 फीसदी दुकानें बंद हो जाएंगी.

 

कारोबारियों की रोजाना की आय में गिरावट

देश के अलग-अलग हिस्सों से मिली जानकारी के मुताबिक कारोबारियों की रोजाना की आय में बड़ी गिरावट देखी जा रही है और उनकी नियमित आय में गिरावट के असर से आर्थिक हालात काफी चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुकी है. सरकार को जल्द इस ओर ध्यान देना चाहिए और खुदरा या रिटेल कारोबारियों के लिए कोई ठोस नीति लानी चाहिए जो उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सके.

 

वित्तीय ढांचा बनाए जाने की जरूरत

कैट के मुताबिक व्यापारियों की मदद के लिए सरकार को अब नए सिरे से एक वित्तीय ढांचा बनाने की जरूरत है जो उनके हित में हो. रिटेल कारोबार भारी मात्रा में लोगों को रोजगार भी मुहैया कराता है लेकिन इस समय खुद ही कर्मचारियों की अनुपलब्धता से जूझ रहा है. ऐसे में एक वित्तीय ढांचा बनाए जाने की जरूरत है जो रिटेल कारोबारियों को इस संकट की घड़ी से निकाल सके.

कोरोनावायरस महामारी के कारण पिछले 100 दिनों में भारतीय खुदरा व्यापार को लगभग 15.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है. परिणामस्वरूप घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉकडाउन खुलने के 45 दिनों के बाद भी देशभर में व्यापारी उच्चतम वित्तीय संकट, कर्मचारियों की कमी और दुकानों पर ग्राहकों के बहुत कम आने से बेहद परेशान हैं. केंद्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा व्यापारियों को कोई आर्थिक पैकेज देने से भी व्यापारी बेहद संकट की स्थिति में हैं और इस सदी के सबसे बुरे समय से गुजर रहे हैं.

देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है. यदि तुरंत इस स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा, जिसके कारण बड़ी संख्यां में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है.

 

अप्रैल से जुलाई मध्य तक कितना नुकसान

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ का, मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ का और जुलाई के 15 दिनों में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का घाटा हुआ है. कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में बड़ा डर बैठा हुआ है, जिसके कारण स्थानीय खरीदार बाजारों में नहीं रहे हैं. ऐसे लोग जो पड़ोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं, वे लोग भी कोरोना से भयभीत होने और एक शहर से दूसरे शहर अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर-राज्यीय परिवहन की उपलब्धता में अनेक परेशानियों के कारण खरीदारी करने बिलकुल भी नहीं जा रहे हैं.

भरतिया और खंडेलवाल के मुताबिक, इन सभी कारणों के चलते देश भर के व्यापारिक बाजारों में बेहद सन्नाटा है और आम तौर पर व्यापारी प्रतिदिन शाम 5 बजे के आसपास अपना कारोबार बंद कर घरों को चले जाते हैं. देशभर के व्यापारियों से उपलब्ध जानकारी के अनुसार कोरोना अनलॉक अवधि के बाद अब तक केवल 10% उपभोक्ता ही बाजारों में रहे हैं, जिसके कारण व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

 

इन कदमों की है जरूरत ✔⬇⬇

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि अभी तक व्यापारियों को केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा कोई आर्थिक पैकेज पैकेज नहीं दिया गया, जिसके कारण व्यापार को पुन: जीवित करना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है. जब देश भर के व्यापारियों की देख रेख बेहद जरूरी थी, ऐसे में व्यापारियों को परिस्थितियों से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है. इस समय व्यापारियों को ऋण आसानी से मिले, इसके लिए एक मजबूत वित्तीय तंत्र को तैयार करना बेहद जरूरी है. व्यापारियों को करों के भुगतान में छूट और बैंक ऋण, ईएमआई आदि के भुगतान के लिए एक विशेष अवधि दिया जाना और उस अवधि पर बिना कोई ब्याज अथवा पेनल्टी लगाए जाने की जरूरत है, जिससे बाजार में लिक्विडिटी का प्रवाह हो.

 

इस सम्बन्ध में सबसे बुरी बात यह है कि दिसंबर से मार्च के महीने में आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं जिनका पेमेंट भुगतान पारस्परिक रूप से सहमत क्रेडिट अवधि के अनुसार मार्च महीने में हो जाना चाहिए था, वो अभी तक नहीं हुआ है. उम्मीद ये की जाती है कि आगामी सितंबर मास में इसकी अदायगी होने की संभावना है.

 


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